=======Gradual progression to eternal bliss========
(Hindi-English)Shloka and meaning only
“Om Namo Bhagavate Vasudevayah”
Ch5:Sh19
इहैव तैर्जितः सर्गो येषां साम्ये स्थितं मनः ।
निर्दोषं हि समं ब्रह्म तस्माद् ब्रह्मणि ते स्थिताः ॥
भावार्थ : (सभी जीवों में) समान भाव रखने वाले(मनुष्य) इस जीवन में ही जीवन मरण के चक्र पर विजय प्राप्त कर सकते हैं(अर्थात इस शरीर के बाद ही मोक्ष पा सकते हैं)| क्योंकि सच्चिदानन्दघन परमात्मा पवित्र एवं समदृष्टा है, इसलिए ईश्वर में स्थित रहने वाले(अटूट भक्ति रखने वाले) ईश्वर कों (स्वतः) ही प्राप्त होते हैं॥
Ch5:Sh20
न प्रहृष्येत्प्रियं प्राप्य नोद्विजेत्प्राप्य चाप्रियम् ।
स्थिरबुद्धिरसम्मूढो ब्रह्मविद् ब्रह्मणि स्थितः ॥
भावार्थ : जो [मनुष्य] कुछ मनवांछित पाने पर अति उत्साहित नही होता और जो अप्रिय हो जाने पर बहुत दुखी नही होता वह स्थिर बुधि, और अंतर्ज्ञान(अध्यात्म ज्ञान) से युक्त व्यक्ति एकाकीभाव से परमात्मा में लीन(स्थित) हो जाता है|
Ch5:Sh21
बाह्यस्पर्शेष्वसक्तात्मा विन्दत्यात्मनि यत्सुखम् ।
स ब्रह्मयोगयुक्तात्मा सुखमक्षयमश्नुते ॥
भावार्थ : बाहर के विषयों में आसक्ति त्यागने वाला (मनुष्य) (स्वतः ही) आतंरिक आनंद (आत्मा का आनंद) कों प्राप्त करता है| इस प्रकार उस सच्चिदानन्द परमात्मा के ध्यान में लीन वह [मनुष्य] अक्षय(अपूर्व) आनन्द प्राप्त करता है॥
~English~
Ch5:Sh19
ihaiva tair jitah sargo yesam samye sthitam manah
nirdosam hi samam brahma tasmad brahmani te sthitah
Even in this world rebirth can be conquered by keeping alive an impartial mind. Definitely the God is pure and alike. So, being stable in God they reside in God.
Ch5:20
na prahrsyet priyam prapya nodvijet prapya capriyam
sthira-buddhir asammudho brahma-vid brahmani sthitah
A resolute minded person, possessing spiritual knowledge always resides in God, neither rejoices upon achieving something pleasing nor grieve over upon obtaining something unpleasant.
Ch5:21
bahya-sparsesv asaktatma vindaty atmani yat sukham
sa brahma-yoga-yuktatma sukham aksayam asnute
A person no longer fascinated by pleasant and unpleasant situations enjoys the pleasure in self. Having merged completely with God he enjoys the eternal bliss.
“Hari Om Tat Sat”
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