======Hot, cold, happiness and sadness======
=====Caused by nteraction of senses with Prakriti=====
“Om Namo Bhagvate Vasudevayah”
Ch2:Sh14
मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदुःखदाः ।
आगमापायिनोऽनित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारत ॥
संधि विक्छेद के साथ
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मात्रा स्पर्शः तू कौन्तेय शीत उष्ण सुख: दुखः दः
आगम अपायिनः अनित्यः तान तितिक्ष्व भारत
भावार्थ : हे कुंतीपुत्र! इन्द्रीय और भौतिक पधार्थों का विभिन्न मात्रा में संयोग, सुख, दुःख, सर्दी, और गर्मी का अनुभव देते हैं| इन्हें बिना भ्रमित हुए सहन करो(करना चाहिए) क्योंकि यह अल्पकालिक एवं अनित्य [होते] हैं|
Ch2:Sh14
matra-sparsas tu kaunteya sitosna-sukha-duhkha-dah
agamapayino 'nityas tams titiksasva bharata
O Son of Kunti! The interaction of sense and sense objects which are temporary experience give pleasure, happiness, sorrows, cold and heat, O scion on Bharata! Try to tolerate them without being disturbed.
“Shri Hari Om Tat Sat”
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